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P. 6

आज लोग परिवाि ि े
      महत्व िो िहीिं समझ पा
      िह ह। इसिा सबस     े
        े
           ैं
      बड़ा िािण है इस िई
      दहिया औि लोगोिं िा
       ु
      बदलता मि। आज हम       ें
          े
      आि वाली पीढ़ी यािी
             े
      हि छोट बच्चोिं िो अपि  े
      परिवाि ि े महत्व िो
      समझािा होगा ताहि
      वह समझ सि हि
                   ें
      परिवाि क्ोिं जरूिी है?
              े
      पहिम दशो ि े उलट,
      हमाि हलए परिवाि
           े
           ें
                         िं
      इसम दादा-दादी, मा-
      बाप, ताऊ-ताई, चाचा-
      चाची आहद भी शाहमल
           ैं
        े
      िह ह। यािी, ख़ब

      लम्बा-चौड़ा औि
                                       े
    भिा-पिा एि ऐसा ििबा, हजसम सबि दख-सख साझा हैं, हि तीज-त्योहाि सब साथ हमलिि मिात हैं, मसीबतोिं
                                                                                                   ु
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                                  ें
                                                           िं
                                       े
                                            िं
    िा सामिा हमलिि होता है, बठिख़ाि से हसी-ठहाि िी गज उठती िहती है,अहििाश लोगोिं ि े मि में परिवाि
                                                    े
                               ै
                                                                                 िं
    िी ये सब मिि स्महतया आज भी जीहवत ह।
                 ु
                     ृ
                                          ैं
                         िं
                        े
                                   ा
                                                                    ु
                                                       ैं
                                                                                                ु
                                                             े
    ख़ासतौि शहिोिं में ऐस परिवाि हसर् यादोिं में ही िह गए ह। इसि पीछ िछ वजह व्यावहारिि हैं औि िछ
                                                                  े
                                                                                             े
                                                                                   ै


                                                          े
    मजबिी। आजीहविा िी ख़ाहति पारिवारिि सदस्योिं िो दसि शहिोिं में भी बसिा पड़ता ह। हफि, बड़ शहिोिं में
      िं
                                                                       ु
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                                                           िं
                                                                                      ै
    सयक्त परिवाि िी जरूितोिं ि े हहसाब से बड़ा घि हमलिा महगा ही िहीिं, मक्लिल भी होता ह। िई बाि समय,
                                                           े
                                           ैं
                                                                           े
                                                     े
                                ें
                                                                                           े

    दिी आहद िो लिि भी ह दक्क़त भी आती ह। इि सबि चलत, भाविाओिं िो पि िखिि हिणय लि पड़त ह।
                                                                                            े
                   े
                                                                                       ा
                                                                                                    ैं
                                                                                                  े
    लहिि दिी मायि िहीिं िखती अगि आप भाविातमि रूप से जड़ हए हो। हम मक्लिल या जरूित ि े मौक़ पि
      े
                                                                                                    े
                                                             ु
                                                               े

                                                                              ु
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                    े
                                                                                 ु
                                                                  ै
    अपिा परिवाि ही याद आता है औि वही वास्तहवि सहािा बिता भी ह। इसीहलए िए यग िी िई आवश्यिताओिं
    ि भलत हए भी परिवाि िो बिाए व बचाए िखि िी िोहशश िििी चाहहए। दि-दि िहिि भी भाविात्मि जड़ाव

                                               े
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                                                                                                      ु


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                                                                                                     ु
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    िो मजबती से क़ायम िखा जा सिता ह। इसि हलए मैं िछ सझाव द े सिता हूँ, हो सि तो आप जरूि अिसिण
    िीहजय  े
                                      े
                                                                 े
                                                                                                     े
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                                े
    मल-ममलापमल - हमलाप िित िहहय, जब भी मौिा लग आप अपि बड़ो से सलाह हवचाि - हवमशा िित िह।
                 े
                                                       े
                                                                                                  े
                                                               े
                                                                        े


                                  े
    आप एि ही शहि में दि-दि िहत हैं, तो यह जरूिी है हि पखवाड़ या महीि में एि बाि परिवाि ि े सभी सदस्य
                                                                                           े
                                                िं
                                            िं
                                                             ें
                                       ें
                            िं
    इिट्ठा होिं। साथ खािा खाए, अपिी बात बताए, हसी मज़ाि िि। यहद अलग-अलग शहिोिं में िहत हैं, तब भी दो-
                              ें
                                                                                                   ै
    चाि महीिोिं में ऐसा जरूि िि। छोटी छोटी ख़शी - गम मैं शाहमल होिा , आपसी रिश्तोिं िो मजबत बिता ह।

                                             ु
    ख़ास मौक़   े
                                                                             ै
                                ा
                                                                                         ें
    परिवाि में शादी, जन्महदि , वषगाठ या ख़शी ि े अऩॎय मौक़ोिं पि हशिित जरूिी ह। िोहशश िि हि हिसी भी ऐस      े
                                         ु
                                  ूँ
                                    ें
    अवसि िो हाथ से ि जाि द े । इिम आप एि साथ सभी रिश्तदािोिं से हमल सित ह। िभी िभी छोटी सी ख़शी
                           े
                                                                                                     ु
                                                                            े
                                                           े
                                                                              ैं
                 ु
    िो भी बड़ी ख़शी मैं बदला जा सिता ह।
                                        ै
    तकनीक अपनाए     ं
    आज हि घि मैं सभी ि े पास र्ोि औि इटििट िी सहविा है, अपिो से जब जब हो सि वीहडयो या ऑहडयो
                                         िं
                                                                                  े
                                                    ु
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                                                                                                   ै
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                                                                             ा
    िॉल जरूि िि। हिसी भी रिश्त िो सीिंचिा पड़ता ह। यह सीिंचिा लगाताि सम्पि में बिे िहि से आता ह।    6
                  े
                                                       े
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                                                                  े
    आजिल सोशल मीहडया ि े माध्यम से भी लोग एि दसि से जड़ िहत है

                                                              े
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