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सजदगी में हौ ला
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तजदगी में आग बढ़न क े तलए हौसला सबस बड़ी जरूरत है | जहा हौसला
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होता है वहा मतजल तमलनास्वाभातवक है | जहा इसान अपन आप को कमजोर
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समझ लता है, समझो उसका पतन वहीँ से शरू हो जाता ह॥ हम अपन आप
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को इस कदर मजबत बनाना होगा तक कोई भी नकारात्मक भाव हमार े अदर
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ना आ पाए |इसक साथ-साथ ये भी जरूरी है तक हम पररस्लस्ततथयों क े दास न
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हो, बस्लि पररस्लस्ततियों को अपन अनरूप बनाकर चल | क्योंतक कतव तदनकर
क े शब्ों में : -
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“लक्ष्ण रखा क े दा तटो पर आकर ही सिर जात हैं ” |
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अतनता तहदी (PRT) “िसजत मद्र में नाि सलए स्वाधीन िीर ही जाते हैं ” |
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सरज स्कल कोसली
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तकसी भी जग को जीतन क े तलए उसकी रणनीतत को समझन क े साथ ही इस जहन
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में हौसल की सबस बड़ी आवषॎयकता है | हौसल क े साथ बनाई गई रणनीतत जीतन े
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की आशाओं को बल दती है | तबना रणनीतत बनाए मदान में उतरन वाल को हमशा
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हार का सामना करना ही पड़ता है | अगर सही रणनीतत एव मन में हौसलालकर
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आग बढ़ा जाए तो जीत तनतित है | तभी तो तकसी ने कहा है तक :-
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परो े नहीिं, हौ लोिं े उडान होती हैं |
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Deepika Bhardwaj | TGT English | Suraj School Bhiwadi