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P. 8

हर एक आत्मनिर्भर



                य
      आत्मनिभर शब्द का मतलब:
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      आत्मभनभर शब्द िो शब्दों से भमलकर बना है, ‘आत्म’ और ‘भनभर’, यह सस्कत भाषा से भलया गया शब्द है
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      आत्म’ शब्द का आशय स्वय से हैं और ‘भनभर’ शब्द से आशय उन सभी कामों से हैं जो आप खि करत हैं या िसरों
      से करवात हैं ।
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      िभनया में सभी एक िसर पर भनभर हैं भर्र चाह वो व्यल्कक्त, समाज, शहर हो या राज्य, िश, महाद्वीप आभि ये सब
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      एक िसर पर ही भनभर हैं, और होना भी चाभहए लभकन भकस हि तक? क्ोंभक भनभरता जब अत्यभधक हो जाती हैं
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      तब ये कमजोर बना िती हैं। और इसभलए इस कमजोरी को िर करन क े भलए िसरों पर भनभरता को कम करत         े
                  भ
      हुए आत्मभनभर बनना चाभहए।
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      आत्मनिभरता का महत्व एव लाभ:-
      (क) आत्मभवश्वास में वल्कि:- आत्मभनभर व्यल्कक्त में िसरों से ज्यािा आत्मभवश्वास होता है।
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      (ख) साहस में वल्कि:-आत्मभनभर व्यल्कक्त में भकसी िसर पर भनभर इसान की तलना में अभधक साहस होता है।
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      (ग) नत्तत्व क े गर् में वल्कि:-आत्मभनभरता से नतत्व क े गर् में वल्कि होती है।
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      आत्मनिभरता क े िकसाि एव दरष:-
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      (क) द्वष भाव होना:-आत्मभनभरता का गर् व्यल्कक्त को श्रष्ठ पि का अभधकारी तो बनाता हैं, परन्त इसक सार्थ ही द्वष
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      भावना मन में आ जाती हैं।
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      ऐस में वो भकसी को नकसान पहुचान की भी सोच सकता है।
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      (ख) मधरता की कमी होना:- आत्मभनभर होना बहुत अछॎछी बात है लभकन अभधक आत्मभनभरता कभी–कभी िसरों
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      क े प्रभत मधर सबधों में कमी पिा कर सकती है।
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      (ग)अहकार भाव का आना:- ज्यािा आत्मभनभर होन का नतीजा यह होता है भक आप क े भीतर अहकार भाव की
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      वल्कि होन लगती हैं
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      नवद्यार्थी जीवि में आत्मनिभरता का महत्व :
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      जसा की हम सभी जानत हैं आज की नई पीढ़ी भपछली पीढ़ी से कार्ी समझिार है।
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      परत एक सत्य यह भी है भक जो समस्याए भपछली पीढ़ी क े सामन आई र्थी उसस अभधक समस्याए नई पीढ़ी क े
      सामन आएगी।
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      इसभलए भवद्यार्थी को सभी चनौभतयों को ध्यान में रखत हुए आग बढ़ना होगा ।
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      हम सभी जानत हैं अब िभनया क े सभी आधभनक िश प्रोद्योभगकी , अतररक्ष , 5G आभि क्षेत्रों में सर्लता पा रह हैं
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      इसभलए हम भी इन क्षत्रों में
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      प्रयास करना होगा , इसीभलए हमार प्रधानमत्री। ने आत्मभनभर भारत का नारा भिया । इस नार को साकार करन में
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      हमारी आन वाली पीढ़ी का बहुत महतत्वपर् योगिान होन वाला है। इसभलए हमार    े
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      िश क े सभी भवद्यभर्थयों को कवल पस्तको तक सीभमत न रहत हुए सभी भिशाओं से
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      ज्ञान अभजत करना चाभहए , जस कयॎयटर क े क्षत्र में रुभच उत्पन करना, भवज्ञान क े
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      क्षत्र में गहनता से अध्ययन करना , ताभक हम भी आधभनकता क े इस िौर में सभी
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      िशों क े सार्थ किम से किम भमला कर चल सक।
                                    Saroj Yadav , PGT Hindi,
                                      Suraj School Rewari                                          8
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