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P. 6

हम आत्मनिर्भर





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               भ
                                                                              े
                                                                                                  भ
     आत्मभनभर सोच से बनगा, आत्मभनभर भारत, आज का छात्र अगर अपन जीवन में आत्मभनभर सोच
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     पे ज्यािा भवश्वाश करगा तो आत्मभनभर भारत का भी सपना जल्द ही परा होगा।
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     भकसी भी िश, समाज, समह क े पीछ एक भवद्यार्थी का ही भवशष योगिान होता है। भवद्यार्थी िश का
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                                                                    े
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     भभवष्य होता है अगर आज हम सब भमलकर उस एक उभचत भिशा भिखन का काम करत है तो हम
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     अपन िश क े आभर्थक, सामाभजक और सास्कभतक उन्नभत क े भलए एक महत्वपर्भ भागीिारी भनभा
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     सकत है ।
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      मझ ऐसा लगता है भक अगर भारत को एक आत्मभनभर राष्ट् र बनाना है तो इसक भलए भवद्यार्थी
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                                                                                         ु
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                                                                        े
     मििगार साभबत हो सकत हैं। भवद्यार्थी भजतना उत्साहवधक, िशप्रमी और कौशलयक्त होगा उतना
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                                                                                        े
     ही एक िश क े भवकास क े भलए और उसकी उन्नभत और तरक्की क े भलए प्रबल िाविार होगा।
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     भवद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब उसक अिर एक गजब का आत्मभवश्वास , उत्साह, ऊजा और
                                                                                     ं
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     जोश भरा रहता है। और उनक मन में प्रभतभिन नए -नए भवचार, नई-नई योजनाए आकार लन लगती
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     हैं भजसम असभव को सभव कर भिखान का जज्बा समाया रहता है।
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      एक सही मागिशन, उनक अिर की अपार क्षमताओं , सभावनाओं और असीभमत ऊजा को एक
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                                                                                              भ
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     सही भिशा ि े सकत है । इसी तरह क े काय में सरज एजकशन ग्रप अभतम ३ िशकों से भी ज्यािा से
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     काम कर रहा है।
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     छात्रोंकर स्वतत् नशक्षार्थी बिि में कस मदद कर?
     ज़ऱूरत है भक हम सब अपनी अपनी सोच बिल. आत्मभनभर भारत क े भलए ज़ऱूरी है भक सबस                     े
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     पहल सोच आत्मभनभर हो। सरज एजकशन ग्रप क े सस्र्थापक श्री जगिीश प्रसाि जी क े भिशा भनिश
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                                                    ु
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     अनसार, हम छात्रों को आत्मभनभर बनान क े भलए प्रयासरत है और उनक बनाये और भिखाए माग                 भ
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                                                                             े
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     पर चलन का प्रयास करत है।
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      हमन अपन स्कल का पाठ्यक्रम कछ इस तरीक से भडज़ाइन भकया है की छात्र छोटी छोटी आित
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                                                                     ु
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     में बिलाव लाकर आत्मभनभर छात्र बन सक, मैं आज उनम से कछ आपक सार्थ साझा कर रही हूँ।
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     1  गह काय स्वय कर     े
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     हमार यहा से शख्त भनिश होत है की सभी छात्र अपना होमवक स्वय कर वो अभभभावक से उभचत
               ूँ
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                                                                       ं
     भिशा भनिश या मागिशन ले पर अपन स्कल का होमवक वो स्वय कर। इसक अभतररक्त जब भी
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     स्कल की तरर् से उन्ह कोई भी प्रोजक्ट या असाइनमट भिया जाता है तो उसम भी कम से कम
                            ें
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                                                                        े
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                े
     सहयोग लन क े भलए बोला जाता है और बहुत बार इस तरह क े प्रोजक्ट स्कल में ही अध्यापक द्वारा
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     करवाया जाता है ताभक भवधार्थी अपन आप परा काय कर सक।
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     2  कछ भी काय करि से पहल परी तयारी करक बठ :
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     हम लोग अक्सर िखत है की छात्र पढ़न बठत है और तभी उन्ह याि आता है भक उनकी पभसल शाप                     भ
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     नहींहै, रफ़ नोट बक नहींहै कभी उन्ह प्यास लग जाती है या भर्र भख लग जाती है| सरज स्कल भक
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     भनिशक होन क े नात हम अपन सभी अध्यापको को इसक भलए प्रभशक्षर् ित है भक कक्षा शऱू होन                 े
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     से पहल सभी भवधार्थी पानी खाना इत्याभि क े भलए कक्षा क े बीच मैं ना बोले। और ना ही उन्ह कही
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     जाना पड़ ।
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