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P. 12

आत्मनिर्भर




                                                                                    भ
                                                                                                    ै
      अध्यापक ही वह अकला इसान होता है जो भवद्यार्थी को उसकी जीवन में आत्मभनभर बना सकता ह।
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                                               े
      इसक भलए यह अभत आवश्यक है की पहल वह खि आत्मभनभर बन तभी वह पर आत्मभवश्वास क े सार्थ
                                                                                  ू
                                                                                   े
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      भवद्याभर्थयों को आत्मभनभर बना सकता ह। अध्यापन ही एक अकला ऐसा व्यवसाय है जहा पर वह अपन             े
             भ
                                                                                          ं
                             भ
      ज्ञान को औरयह अभत आवश्यक है की अध्यापक क े अिर इतनी योग्यता होनी चाभहए भक वह अपन               े
                                                          ं
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                                           भ
      भनर्य खि ले सक। अपन भहत क े भनर्य को लन क े भलए उस िसरों की मिि ना लेनी पड़। अध्यापक
                                                                            ैं
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                                                                        े
      हमारी आन वाली पीढ़ी को आप भनभर बनान में बहुत बड़ा योगिान ित ह। ि ेश क े अछॎछ अध्यापकों से
                                                 े
      ही हमार िश का भवकास हो सकता है। अपन अनभव को अपनी भवद्याभर्थयों क े सार्थ बाटकर अपनी
                                                                           भ
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      जीभवका को चलाता ह।                                    ज्यरनत बरजा TGT (नहदी) | सरज स्कल नभवाड़ी
                                                                             ों
                                                                    े
                                                                                   ू
                                                                                         ू
                                    स्वरचित कववता
                              य
     समय आ गया आतमनिभर भारत का अब हम आगाज करिा है
                                                 ें
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                                 ें
     भजम्मिाररयों का अपनी अब हम एहसास करना है,
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     एकजट होकर अब हम स्वय को आत्मभनभर बनाना है,
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                                    भ
     हा अब मर भारत को भी आत्मभनभर बनाना है |
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     सारी गलभतया भला कर, अर्थव्यवस्र्था को सधारना है,
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     एक बार भर्र अपन िश को सोन की भचभड़या बनाना है |
                     भ
     कमजोर और भनबल भिलों में भर्र से भवश्वास भरना है,
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                               भ
     हों जाए हम सब खि पर भनभर अब ऐसा काम करना है |
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     प्रधानमत्री जी और हमार इस सपन को अब साकार करना है,
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     एक बार भर्र से अपन भारत को भवश्वगरु बनाना है |
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     एकजट होकर, महनत करक अब हम इस आग ले जाना है,
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                                                      ूँ
     सार्थ भमलकर, हार्थ पकड़कर इस सर्लता की सीभिया चढ़ाना है |
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                                          े
     भविशी वस्तओं का बभहष्कार करक स्विशी को अपनाना है,
                                   ें
     लोकल क े भलए वोकल होकर, हम अपनी आवाज़ उठाना है |
                             ें
     ए भारत की जनता अब हम सार्थ भमलकर किम बढ़ाना है,
     और गरीबों क े हुनर को पहचान, उनका मान बढ़ाना है |
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                                         ें
     भकसानों की महनत को सराहत हुए, उन्ह उनका हक भिलवाना है,
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     मजिरों की मज़बरी की बभड़यों से छड़वाकर मजबती का पाठ पिाना है |
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                                      अब हम खि में आत्मभवश्वास जगाना है, और भारत को आत्मभनभर बनाना है |
                                                                               े
                                                                                 े
                                                            अभभमानी नहीं, अपन िश को स्वाभभमानी बनाना है,
                                                           े
                                                                                                 े
                                                          िश पर कोई आपिा आए, हम सब को आग आना है |
                                                                                            ु
                                                                सभी को भमलकर भारत को शत्रओं से बचाना है,
                                                                    भ
                                                           आत्मभनभरता की अहभमयत अब सबको समझाना है |
                                                                                             ु
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                                                                     े
                                                                       े
                                                    यह काम हम अपन िश क े अध्यापकों से ही शऱू करवाना है,
                                                                          े
                                                                            े
                                                                     अपन िश से हमको एक वािा भनभाना है |
                                                                                              भ
                                                                      े
                                                              भवश्व में िश को अब एक अलग िजा भिलवाना है |
                                                                                 े
                                                                                               भ
                                                                               े
       Sudesh Yadav                                             हर हाल में अपन िश को आत्मभनभर बनाना है |
       Co-Ordinator                                      बहुत हुआ िसरों पर भनभर अब खि को आग बढ़ाना है,
                                                                                                 े
                                                                                       ु
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       Suraj School Kosli                                जलन वाल जो भी सोच हम आत्मभनभर भारत बनाना है |
                                                                                          भ
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                                                                  े
                                                               वतन क े सार्थ जीना या वतन क े सार्थ मर जाना है,
                                                                                                  12
                                                                                         े
                                                                     े
                                                         हर चीज स्विशी और हर जन को िश भक्त बनाना है |
                                       अपन प्यार िश को आत्मभनभर बना कर, एक बार भर्र से भवश्वगरु बनाना है
                                                                                                ु
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