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आत्म निर्भर
महिला सशक्तिकरण तभी सभव ि जब आत्म क्तिभभरता और आर्थिक आत्मा क्तिभभरता भी िो। महिलाओं को
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जऱूरत ि अपिे अस्तित्व को पिचाििे की और इसको बिाये रखिे की और एक कदम बढ़ािे की।दश
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बदल रिा ि महिलाओं की दशा में सुधार आ रिा ि, समय क साथ साथ िारी शक्ति और सशि िोती जा
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रिी ि। पररवतभि प्रकक्तत का क्तियम ि जैस- सीता, साक्तवत्री, द्रौपदी, गागी आहद पौराणणक दक्तवयों से लेकर
रािी दुगाभवती, रािी लक्ष्ीबाई, अहिल्या बाई िोल्कर, रािी चेिम्मा, रािी पद्मििी, िाडी रािी आहद मिाि
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राक्तियों से लेकर इहदरा गााँधी और ककरण बेदी से लेकर साक्तिया र्मर्ाभ आहद आधुक्तिक भारत की महिलाओं
िे भारत को क्तवश्व भर में गौरवान्वित ककया और महिलाओं िे धरती पर िी ििीं अक्तपतु अन्तररक्ष में भी
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अपिा परचम लिराया ि इिमें सुिीता क्तवद्मलयम्स और कल्पिा चावला प्रमुख ि।यि सिी ि कक िर युग में
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महिलाओं िे अपिी योग्यता का परचम लिराया ि, लेककि किर भी यि दखिे को र्मलता ि कक िर युग में
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उन्ह भेदभाव और उपेक्षा का भी सामिा करिा पडा ि। महिलाओं क प्रक्तत भेदभाव और उपेक्षा को कवल
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साक्षरता और जागऱूकता पैदा कर िी खत्म ककया जा सकता ि। महिलाओं का क्तवकास दश का क्तवकास
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ि। महिलाओ को आर्थिक ऱूप से आत्मक्तिभर और सक्षम बिािा भी आज क समय में उतिा
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िी आवश्यक ि। आर्थिक ऱूप से सक्षम िोिा कवल पररवार क द्मलए ििीं अक्तपतु अपिे द्मलए
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भी आवश्यक ि।पुऱूषों की भााँक्तत महिलाएाँ भी दश की समाि िागररक ि और उन्ह भी
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स्वावलम्बी िोिा चाहिये ताकक समय आिे पर वि व्यवसाय कर सक और अपिे पररवार को
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चलािे में मदद कर सक। यिी जागऱूकता िी तो उिक, उिक पररवार क व दश क क्तवकास
को गक्तत दगी एवं एक िई हदशा दगी। एक खुशिाल भक्तवष्य की कामिा करते हुए इस बात
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का संकल्प कीद्मजये- मैं अपिे हुिर को पिचािूाँगी और स्वावलम्बी बिकर दूसरों क द्मलए भी
प्रेरणास्रोत बिूाँगी l
Kavita Yadav | TGT ,s.s.
Suraj School Mahendergah
मद मि िार्थयों का मेला, बुर्ि क्तववेक का प्रयोग कर।
समय, आश्चयभ परीक्षा ये; तत्पर सदा, आत्ममंथि कर।
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क्तवश्वास मेरा तेर आगे, इस आलस्य का दमि कर।
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प्रारभ तेरा तेर द्वारा; पूणभता स्वयं तेर पीछ।
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आत्मक्तिभभर ि यहद तू, करििाई तेरी कांट िीक।
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तेरा भक्तवष्य तेर आगे, द्मलख उसे स्वयं की कलम से।
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दूजो क जो िाथ पकड, िाथ उिक कबक छ ू ट।
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आत्मक्तिभभर तू र बि तो, दश तेरा आत्मक्तिभभर।
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आत्मक्तिभभर यहद दश तेरा, तो भक्तवष्य क्या र सुंदर।
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क्तवश्वगुरु ये किर बिेगा, बस तू बि कछ आत्मक्तिभभर।
Nishtha | 10th sp
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वाणी यिी अंक्ततम िो मेरी, ये दश मेरा, सथॎय, आत्मक्तिभभर। Suraj School Mahendergah
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