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P. 27

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        य
     िम नीभत और अन्याय पर शाश्वत सस्कभत का यह प्रहार है
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                                              ु
     ससार को भदव्य ज्ञान जो दे ऐसा मरा आत्मभनभर भहदस्ान है
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                                      ों
     प्राचीन भजसका ज्ञान है अदभत सब अनसिान है
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     भिज्ञान भजसस माग मदद िह हमारा िद पराण है
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     शन्य से लकर अनत को पररभाभषत हम ने ही भकया
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     आिभनकता की जो बात कर िह दश आत्मभनभर हमस ही बना
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     नासा को भिज्ञान का मान भदया
     जमनी को सस्कत का ज्ञान भदया
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     चीन को बद् भदया हमन, तो
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     जापान को सस्कार भदया
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                                                                गरकल का ज्ञान हमन भदया चाणक्य की नीभत हमस है
                                                                                 े
                                                                    ु
                                                                 ु
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                                                                                   ु
                                             आयभट्ट का शन्य हमारा है, तो जगदीश चद्र बस का जीि भिज्ञान भी हमीोंसे है
                                                                            े
                                                                              ू
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                                                               रोग भजसस भाग दर िह योग ऋभष पतजभल ने र्ा भदया
                                                                                              ों
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                                                        सश्रत और मभन चरक ने भचभकत्सा पद्भत को भदया जीिनदान र्ा
                                                                  ु
                                                                                               ें
                                                                                       े
                                                                कर्ा, कहानी और यह भकस्स, अब बात सारी परानी है
                                                                                                     ु
                                                             आत्मभनभरता को पररभाभषत करन िाल सार भहदस्ानी है
                                                                     य
                                                                                        े
                                                                                                  ों
                                                                                                    ु
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                                                                                            े
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    दभनया की तीसरी सबस बड़ी फ़ौज हमारी है ,
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    तो अमररका को जो दे अतररक्ष में टक्कर
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    िो ' इसरो' का सथर्ान भी हमारा है
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    सई से लकर जहाज क े पीछ मड इन इभडया की छाप है
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    भपछड़ हुए भारत की अब दभनया में अपनी एक पहचान है
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    भिर हैं दश्मन दशोों से मगर ना िबराया ना शोक भकया
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    परमाण शल्कक्त होकर भी हमन भहसा का भिरोि भकया
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                                                                                     े
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                                                                                ों
                                                                     दश बसा है गाि में मरा, गाि को भी समद् भकया
                                                                      े
                                                                भबजली, सड़क, सरक्षा, भशक्षा व्यिथर्ा सब सुदृढढ़ भकया
                                                                              ु
                                                            दभनया भिरी जब एक िायरस से तो हमन सब का सार् भदया
                                                             ु
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                                                                                          ु
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                                                             िक्सीन भदया सभी को हमन और खद का भी इलाज भकया
                                                                                   े
                                                                             ृ
                                                                     कला सस्कभत , भिभि व्यिथर्ा, नीभत न्याय सब में
                                                                           ों
                                                                                       अब प्रर्म हमारा थर्ान है
                                                                                    ों
                                                                 नीरज चोपड़ा ने भी ओलभपक में बढ़ाया हमारा मान है
                                                                                                   ु
                                                                                  ऐलान कर दो सारी दभनया में, ये
                                                                                                   ों
                                                                                               य
                                                                                                    ु
                                                                  अब एक नया उभरता हुआ आत्मभनभर भहदस्ान है!
                      Namrata Namdeo | TGT Hindi
                            Suraj School, Rewari
                                                                                                  27
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