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बाल कसिता
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चलमल से बच्च घर की जान होत हैं
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हर एक पररवार की वो शान होत हैं
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प्यारा सा चहरा बड़ा हसाता है
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रोत हए भी स्लखलस्लखलाता है।
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हसना रूठना रोत रहना
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घर क े आगन में शरारत करत रहना
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खल में हार कर स्वीकार ना करना
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मह फलोकर आसओं का समदर बहाना ।
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हसन का मन कर तो बवजह हसत रहना
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रोन का मन कर तो बस रोत रहना
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ना कोई समझ है ना समझदारी है
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बस अपनी मा बड़ी प्यारी है ।
सार जहा को तसर पर उठाए रखना
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अपनी शरारतों से सबको पीछ भगाय रखना
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पकड़ जान पर बस रोत जाना
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तबन समझ ही बहान बनात जाना ।
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ना खशी की परवाह ना ग़म की परवाह
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ना अपनी परवाह ना दसरों की परवाह
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बस मा की गोद में ही सोत रहना
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हर पल हस हसकर हसात रहना।
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चलमल से बच्च घर की शान होत हैं
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हर पररवार की वो शान होत हैं।
Neetu (Pre-Prt) Suraj School Kosli
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