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P. 25

बाल कसिता






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                                          े
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    चलमल से बच्च घर की जान होत हैं
                                         े
    हर एक पररवार की वो शान होत हैं
                 े
    प्यारा सा चहरा बड़ा हसाता है
                              ँ
        े
    रोत हए भी स्लखलस्लखलाता है।
                                                                    े
                                              हसना रूठना रोत रहना
                                                ं
                                                                                 े
                                                          ं
                                              घर क े आगन में शरारत करत रहना
                                                                          े
                                                 े
                                              खल में हार कर स्वीकार ना करना
                                                 ुँ
                                              मह फलोकर आसओं का समदर बहाना ।
                                                     ु
                                                                  ँ
                                                                    ु
                                                                                 ुं
                        े
                                           े
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     ं
    हसन का मन कर तो बवजह हसत रहना
                                       ं
                              े
                                    े
    रोन का मन कर तो बस रोत रहना
                      े
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    ना कोई समझ है ना समझदारी है
                   ं
    बस अपनी मा बड़ी प्यारी है ।
                                          सार जहा को तसर पर उठाए रखना
                                                    ं
                                              े
                                          अपनी शरारतों से सबको पीछ भगाय रखना
                                                                                    े
                                                                            े
                                                े
                                                                     े
                                                       े
                                          पकड़ जान पर बस रोत जाना
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                                                                        े
                                          तबन समझ ही बहान बनात जाना ।
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    ना खशी की परवाह ना ग़म की परवाह
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    ना अपनी परवाह ना दसरों की परवाह
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    बस मा की गोद में ही सोत रहना
                    ँ
               ं
    हर पल हस हसकर हसात रहना।
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    चलमल से बच्च घर की शान होत हैं
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                                    े
    हर पररवार की वो शान होत हैं।
                Neetu (Pre-Prt)  Suraj School Kosli
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