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P. 12

कमथ कहाां ननष्फल                      चारों और नाकामी


                                                                                   ं
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       माना की दहम्मत िि गई आंखों                                         हर एक सकि का हल होगा....
                                                                                   ं
       में दनराशा छाई है |.... (2)                                        हर एक सकि का हल होगा
       माना की चाि पे िहण है, और                                          वो आज नहीं तो कल होगा |
                  ं
                                                                                       े
                                                                                      ं
       रात अभी गहराई है |                                                 माना की है अधर बहुत और
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       पर कष्ण ने साफ कहा है दक                                           चारों और नाकामी है....(2)
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       श्री कष्ण ने साफ कहा है दक बस                                      माना दक थक क े िि रह और
                                                                                               े
                                                                                          ू
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                                                                                        व
       कम तम्हारा कल होगा...(2)                                           सफर अभी िगामी है |
               व
                                                                                   ू
       और कम अगर सच्चाई है, तो               जीवन की आपा-धापी ने दजन का दठकाना िि गया |
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       कम कहा दनष्फल होगा                    माना दक थक गए, सपनों का नींिों में आना िि गया |
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                                                                                     ू
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       हर एक सकि का हल होगा,                 लोहा दजतना तपता है, उतनी ही ताकत भरता है...(2)
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                                                                   े
       वो आज नहीं तो कल होगा |               सोन को दजतनी आग लग वो उतना प्रखर दनखरता है,
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       और हम आिम क े बि हैं ....(2)          हीर पर दजतनी धार लग, वो उतना खब चमकता है,
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       क्ों सोच दक रहा सरल होगी,             दमट्टी का बतन पकता है, तब धन पर खब खड़कता है...
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       कछ ज्यािा वि लगगा पर                  सरज जसा बनना है तो सरज दजतना चलना होगा...(2)
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                                                                         व
       सघर् जरुर सफल होगा |                  नदियों सा आिर पाना है तो पवत छोड़ दनकलना होगा....
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       हर एक सकि का हल होगा,                 Abhishek Diwedi
       वो आज नहीं तो कल होगा |               PGT SST
                                             Suraj School Sec 56 GGN
       दश प्रेम
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       मन करता है
                                                 ं
       हम भी इस सरहि पर मर दमि जाए |
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                                                         ु
                                                     व
       इस दमट्टी क े अहसानो का कछ तो कज चकाए |
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       आजािी क े दलए हमारी लबी चली लड़ाई थी |
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       लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चकाई थी
       व्यापारी बन कर आए और छल से हम पर राज दकया |
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       हमको आपस में लड़वान की नीदत अपनाई थी |
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       हमन अपना गौरव पाया अपन स्वादभमान से,
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       हम दमली आजािी वीर शहीिों क े बदलिान से |
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       मन करता है हम भी भगतदसह, राजगरु, सखिव बन जाए,
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       इस दमट्टी क े अहसानो का कछ तो कज चकाए |                                                    12
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