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कमथ कहाां ननष्फल चारों और नाकामी
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माना की दहम्मत िि गई आंखों हर एक सकि का हल होगा....
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में दनराशा छाई है |.... (2) हर एक सकि का हल होगा
माना की चाि पे िहण है, और वो आज नहीं तो कल होगा |
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रात अभी गहराई है | माना की है अधर बहुत और
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पर कष्ण ने साफ कहा है दक चारों और नाकामी है....(2)
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श्री कष्ण ने साफ कहा है दक बस माना दक थक क े िि रह और
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कम तम्हारा कल होगा...(2) सफर अभी िगामी है |
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और कम अगर सच्चाई है, तो जीवन की आपा-धापी ने दजन का दठकाना िि गया |
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कम कहा दनष्फल होगा माना दक थक गए, सपनों का नींिों में आना िि गया |
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हर एक सकि का हल होगा, लोहा दजतना तपता है, उतनी ही ताकत भरता है...(2)
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वो आज नहीं तो कल होगा | सोन को दजतनी आग लग वो उतना प्रखर दनखरता है,
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और हम आिम क े बि हैं ....(2) हीर पर दजतनी धार लग, वो उतना खब चमकता है,
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क्ों सोच दक रहा सरल होगी, दमट्टी का बतन पकता है, तब धन पर खब खड़कता है...
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कछ ज्यािा वि लगगा पर सरज जसा बनना है तो सरज दजतना चलना होगा...(2)
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सघर् जरुर सफल होगा | नदियों सा आिर पाना है तो पवत छोड़ दनकलना होगा....
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हर एक सकि का हल होगा, Abhishek Diwedi
वो आज नहीं तो कल होगा | PGT SST
Suraj School Sec 56 GGN
दश प्रेम
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मन करता है
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हम भी इस सरहि पर मर दमि जाए |
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इस दमट्टी क े अहसानो का कछ तो कज चकाए |
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आजािी क े दलए हमारी लबी चली लड़ाई थी |
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लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चकाई थी
व्यापारी बन कर आए और छल से हम पर राज दकया |
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हमको आपस में लड़वान की नीदत अपनाई थी |
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हमन अपना गौरव पाया अपन स्वादभमान से,
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हम दमली आजािी वीर शहीिों क े बदलिान से |
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मन करता है हम भी भगतदसह, राजगरु, सखिव बन जाए,
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इस दमट्टी क े अहसानो का कछ तो कज चकाए | 12