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P. 5

svataPataa idvasa



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     िोस्ों आप सभी को 75वे स्वतत्रता दिवस की अदिम शभकामनाय |
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     मैं गायत्री यािव, सरज एजकशन िप की तरफ से आप सभी को 75वे स्वतत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई िती
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     हूँ, आजािी अपन आप में एक बहुत बड़ी दजम्मवारी और अपन आपको गौरवादवत महसस करन का दिन है |
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     आज हम भारत क े 75 स्वतत्रता दिवस का जश्न मना रह ह। हम सभी जानत हैं दक भारत को दिदिश शासन से
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                                                                       े
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                                                                          ू
     1947 में 15 अगस् को आजािी दमली थी। स्वतत्रता क े बाि हम अपन सभी मल अदधकार अपन राष्ट् र , अपनी
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                                                                                          े
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     मातभदम में दमल गए। हम सभी को एक भारतीय होन पर गव महसस करना चादहए और अपन भाग्य की प्रशसा
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     करनी चादहए दक हमन एक स्वतत्र भारत की भदम पर जन्म दलया।
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     आजािी हम सब लोगो को दवरासत में दमली हैं, हम अपन पवजो क े द्वारा दिए गए बदलिान क े हमशा ऋणी रहग,
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     २०० साल क े लम्ब सघर् क े बाि दमली आजािी की कीमत को सही मायन में पहचान |  ना जान दकतन लोगो ने
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     अपना परा जीवन लगा दिया तादक हम एक आजाि िश में सास ले सक | आजािी क े सही मायन समझन क े दलए
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     हम आजािी का अथ भी जानना चादहए |
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     आजािी का शाब्दिक अथ पण ऱूप से स्वतत्र होना है अथात दकसी भी ऱूप में आप पर दकसी का दनयत्रण न हो.
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     आजािी का अथ है, कोई भी आप क े जीवन में हस्क्षप ना कर, लदकन छात्र जीवन में ऐसी आजािी दकसी काम
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     की नहीं है अगर ऐसा हो तो इसस दकसी भी छात्र क े समदचत दवकास की सभावना नहीं बनती है.आजािी अपन       े
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     आप में एक बहु आयामी शि है, अछॎछा है हम आजाि हैं, और भी अछॎछा होगा यदि हम आजाि रह, उसस भी
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     अछॎछा होगा यदि हम िसरों को गरीबी से आजािी , भ्रष्ट्ाचार से आजािी , अज्ञानता और अधदवश्वास की गलामी से
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     आजािी दिल वा सक।
                                                            ं
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     मैं अपन आप को बहुत खशनसीब मानती हूँ की मैं एक ऐसी सस्था से जडी हुयी हूँ जो समाज को अज्ञानता से
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     आजािी दिलाकर, ज्ञान क े उजाल की और ले जान का काम कर रही है | मरा ऐसा मानना है की आजािी
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     अनशासन क े दबना ममदकन नहीं। िोनों एक साथ ही चलत ह। अगर आप अनशादसत नहीं हो सकत तो
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     आजािी भी हादसल नहीं कर सकत |
                                                छात्र जीवन से आजािी और        और जहा व्यवस्था होती है वहा ं
                                                                                      ं
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                                                अनशाशन िोनों अलग-अलग          हमशा ही आजािी होती है। इस
                                                                                 े
                                                                  े
                                                नहीं दकए जा सकत। अगर          बात को एक बहुत छोि से
                                                                                                   े
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                                                आप कहत हैं दक मैं वही         उिाहरण से समझ सकत है
                                                                                                    े
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                                                कऱूगा जो मै चाहगा क्ोंदक मैं आप तभी ठीक से सुन सकते
                                                आजाि हूँ । मैं जब चाह अपना    हो जब आप चप बठो, ध्यान
                                                                     े
                                                                                           ु
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                                                खाना खाऊगा। मैं जब चाहे       िो। अगर आप िखन क े दलए
                                                                                                 े
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                                                कक्षा में आऊगा। तो आप         आजाि नहीं हो, सनन क े दलए
                                                                                                 े
                                                                                              ु
                                                           ै
                                                                   े
                                                अव्यवस्था पिा करत हैं।        भी आजाि नहीं हो | अगर आप
                                                आपको अनशासन का पालन           अपनी आजािी चाहत हो तो
                                                           ु
                                                                                                 े
                                                          ू
                                                करना है िसरों की आजािी        आपको िसरो की आजािी का
                                                                                       ु
                                                का भी ध्यान रखना होगा।        भी सम्मान करना होगा |
                                                                                          े
                                                                              यदि बच्च बड़ होन पर उपद्रव
                                                                                              े
                                                                                      े
                                                सभी चीज ठीक से चल इसक     े   करत हैं तो माता दपता उनको
                                                         ें
                                                                    ें
                                                                                   े
                                                दलए आपको समय पर आना           ऐसा करन की आजािी नहीं
                                                                                       े
                                                होगा। इसदलए आपको इसका         ित, समाज उनकी इस स्वतत्रता
                                                                               े
                                                                                                       ं
                                                                                 े
                                                ध्यान रखना होगा। आपको         पर हस्क्षप करता हैं यही
                                                                                       े
                                                 ू
                                                िसरों क े बार में भी सोचना    अनशासन है
                                                                                 ु
                                                                े
                                                होगा। जब आप िखकर,             और यह मानव क े चाररदत्रक
                                                                   ू
                                                  ु
                                                सनकर, समझकर, िसरों क े        उत्थान एव सामादजक प्रदिया
                                                                                       ं
                                                बार में सोचकर खि को           क े दलए आवषॎयक तत्त् है इसी
                                                                ु
                                                अनशादसत करत हैं तो इसस    े   प्रकार सरकार की भी यह
                                                               े
                                                    ु
                                                                   ै
                                                एक व्यवस्था बनती ह।                                5
                                                                                   े
                                                                              दजम्मिारी है
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